हम यह जिम्मेदारी प्रशासन की बस नही मानते यहा के लोगों को भी नियम और कानून के पालन करने की.आदत नही

दमोह शहर एक ऐसा शहर.है कि यहा नियम कायदे कानून सब धरे के धरे रह जाते है यहा  ट्रैफिक वयवस्था की बात करे तो स्थिति बहुत ही दयनीय है ,हम यह जिम्मेदारी प्रशासन की बस नही मानते यहा के लोगों को भी नियम और कानून के पालन करने की.आदत नही

जैसे तैसे वो मानने के लिए तैयार होते है तो दमोह की प्रशासनिक वयवस्था भी किसी से छुपी नहीं कुछ समय पूर्व लाखो की लागत से ट्रैफिक सिग्नल लगाये गये थे मगर कुछ दिन चलने के बाद वह आज तक चालू नहीं हो.सके  अभी तक न तो traffic signal मे सुधार हुआ जिससे घंटाघर बकौली चौराहे पर आये दिन जाम जैसे हालात बने.रहते है.मगर दमोह प्रशासन कार्रवाई का कह के अपना पलला झाड लेती है, अब इस पर किसकी जिम्मेदारी बनती है आप ही बताइए।यही होता है.दमोह मे विकास के नाम पर काम तो होते है.मगर इनकी गुडवत्ता पर कोई ध्यान नही देता जिससे काम होने के.बाद भी समस्या का हल नही निकल पाता अब देखना होगा की दमोह. प्रशासन इस मामले मे कब तक कार्यवाही करता है

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